In the name of Allah,
the Most Beneficent, the Most Merciful
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मुस्लिम पुरुष और स्त्रियाँ, ईमानवाले पुरुष और स्त्रियाँ, निष्ठापूर्वक आज्ञा पालन करने वाले पुरुष और स्त्रियाँ, सत्यवादी पुरुष और स्त्रियाँ, पुरुष और स्त्रियाँ जो हमेशा धैर्यवान रहें, पुरुष और स्त्रियाँ जो दान करते हों, रोज़ा रखने वाले पुरुष और स्त्रियाँ, अपने शील की रक्षा करने वाले पुरुष और स्त्रियाँ, अल्लाह की बंदगी करने वाले पुरुष और स्त्रियाँ इन सबके लिए अल्लाह ने माफी और नेमतें रखी हैं।
किसी ईमान वाले पुरुष और न ही ईमान वाली स्त्री को यह अधिकार है कि जब अल्लाह और उसका रसूल किसी मामले में फैसला सुना दें, तो फिर उन्हें अपने मामले में कोई अधिकार शेष रहे। यदि कोई अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा नहीं माने तो वह निहायत ग़लत रास्ते पर चला गया है।
कुरआन, 33:35-36