हिजाब-एक आध्यात्मिक/आत्मिक आवरण

एक आध्यात्मिक आंतरिक आवरण, जो सभी सत्य अन्वेन्षकों के पास हर समय होना ही चाहिये , यही हिजाब है जो हमारा कवच समान है। ये वो बचाव का आवरण है जो हमें सभी खराबियों से बचाता है, जो हमारे आस पास है व नकारात्मक है और निम्न मानसिकता से हमें दूर रखता है। ये बचाव का आवरण प्रत्येक साधक या साधिका को सकी अपनी क्षमता को ाब्ढ़ाने में मदद करता है। उदाहरण के लिये, एक बीज को बड़ा होने के लिये आवश्यकता होती है कि उसका बाहरी आवरण उसे मिट्टी से बचाए, जब तक कि वो उस आवरण को तोड़कर बाहर ना निकलेऔर स्वयं अंकुर न ले। यही बात मानव पर भी लागू होती है। हमें एक ऐसे सुरक्षात्मक कवच की आवश्यकता होती है जिसके चलते हम अपनी आंतरिक शक्तियों का पूरा विकास कर सके, प्रेम व वास्तविकता के साथ जीवन जी सके। ये वो आवरण है जिसकी आवश्यकता प्रत्येक साधक को है। हमारा लक्ष्य है प्रार्थना, ज़िक्र, उपवास और अन्य शरीयत जिसे ईश्वर ने सभी मानवीय जीवों को प्रदान कियाहै जिससे आंतरिक प्रगति की जा सके व एकात्मता पाई जा सके और हम ईश्वरीय शक्ति की आवाज़ को सुनने में समर्थ हो सके।

पाक़ क़ुरआन-42:51

और य्ह र्त्य मानव को नही दिया गया है कि ईश्वर उससे बात करे और अचानक प्रेरणा के साथ अथवा (कई बार आवाज़ के साथ) किसी आवरण के पीछे से उद्‌घाटित होगा अथवा किसी प्रकार का सन्देश भेजा जाएगा, उसके प्रस्थान से, जहां भी वो चाहता है अथवा खोजता है, अनेक कारणों के लिये उसका अस्तित्व है।

एमटीओ शाहमकसुदी इस्लामी सूफीवाद की पाठशाला की शिक्षाओं के अनुसार, इस दिव्य प्रकाश का स्रोत साधक के भीतर ही होता है। हज़रत मौलाना शाह मकसुद सादेग अंघा, ''जीवन के स्रोत'' के इकतालीसवे गुरु है। आप बताते हैं कि मानवीय तंत्र मं 13 विद्युतचुंबकीय क्षेत्र होते हैं। इन सभी केन्द्रों के मध्य सही सामंजस्य के लिये प्रेम की आवश्यकता होती है जिससे मानव की आध्यात्मिक यात्रा का लक्ष्य उसे मिलता है। अरिफ (सूफी गुरु), इस मार्ग का प्रकाश हैं, और साधक को आत्मज्ञान का मार्गदर्शन देते हैं। 1


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संदर्भ:
1- Molana Salaheddin Ali Nader Angha , Theory “I”,( Riverside , CA : M.T.O. Publications®, 2002)

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